कानून की मंजूरी: राष्ट्रपति को संसद द्वारा पारित किए गए विधेयकों को मंजूरी देने का अधिकार होता है।
संविधानिक नियुक्तियाँ: राष्ट्रपति को उच्च न्यायालय के जजों, संविधानीय पदों, राज्यपालों और अन्य नियुक्तियों की नियुक्ति का अधिकार होता है।
सरकारी निर्णय: राष्ट्रपति को केंद्रीय सरकार के नेतृत्व करने और राष्ट्रीय मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार होता है, जिसमें संसद के सलाहकारी संविधान के प्रावधानों का पालन किया जाता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा: राष्ट्रपति को भारतीय सेना के प्रमुख और परमाधिकारी के रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा का जिम्मा होता है।
राष्ट्रपति का कार्यक्षेत्र विस्तृत है और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व की जिम्मेदारी होती है। वे देश के संविधान और नैतिकता के प्रति अपनी आग्रही भूमिका का सम्मान करते हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 54 के तहत, भारत के राष्ट्रपति का चयन भारतीय संसद के सदस्यों और राज्य विधानसभाओं के प्रतिनिधियों द्वारा होता है।
राष्ट्रपति का चयन “निर्वाचित सदस्यों” (विधान सभा और राज्य विधान परिषदों के सदस्य) द्वारा मतदान के आधार पर होता है, जो संसदीय विधान के अनुसार होता है। इसके लिए, एक अविधानित चयन आयोग को मतदाताओं के द्वारा मतदान करने का कार्य दिया जाता है। चयन आयोग द्वारा प्रस्तावित उम्मीदवारों में से जो उम्मीदवार अधिक संख्या में मतों को प्राप्त करता है, वही राष्ट्रपति का पद को दाखिल किया जाता है। राष्ट्रपति की पद की अवधि पांच वर्ष होती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 53 के तहत, राष्ट्रपति को कई प्रमुख और महत्वपूर्ण शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। कुछ मुख्य शक्तियाँ निम्नलिखित हैं:
कानून की मंजूरी: राष्ट्रपति को संसद द्वारा पारित किए गए विधेयकों को मंजूरी देने का अधिकार होता है। यह संविधान में विधेयक के लिए उनका हस्ताक्षर करने का विशेष अधिकार होता है।
संविधानिक नियुक्तियाँ: राष्ट्रपति को उच्च न्यायालय के जजों, संविधानीय पदों, राज्यपालों और अन्य नियुक्तियों की नियुक्ति का अधिकार होता है।
आराजकता का समापन: राष्ट्रपति को आराजकता के स्थिति में एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को आदेश जारी करके उसे समाप्त करने का अधिकार होता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा: राष्ट्रपति को भारतीय सेना के प्रमुख और परमाधिकारी के रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा का जिम्मा होता है।
उपेक्षा या राज्यपालों की नियुक्ति: राष्ट्रपति को राज्यपालों की नियुक्ति का अधिकार होता है और उन्हें नागरिकों की हितैषी नीतियों को प्रवर्तित करने का भी अधिकार होता है।
ये शक्तियाँ राष्ट्रपति को राष्ट्र के संविधान और कानून की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, साथ ही राष्ट्रपति को देश के उत्तरदायित्व और समृद्धि के लिए कई जिम्मेदारियाँ भी सौंपी जाती हैं।
“महावियोग” शब्द का अर्थ है राष्ट्रपति के पद से हटावा या उनकी स्थिति में आवश्यकतानुसार बदलाव। इसका कारण सामाजिक, राजनीतिक या कानूनी हो सकता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 और 62 के तहत, राष्ट्रपति पर महावियोग के लिए विभिन्न प्रावधान हैं। इनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं:
अविश्वास प्रस्ताव: संसद के किसी एक घटक द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाता है और अगर यह अविश्वास प्रस्ताव स्वीकृत होता है, तो राष्ट्रपति को इस्तीफा देना पड़ सकता है।
आज्ञा प्रस्ताव: अगर राष्ट्रपति ने किसी विशेष कार्रवाई के लिए संसद से सहमति मांगी है और संसद ने उसे अस्वीकार किया है, तो यह भी राष्ट्रपति को इस्तीफा देना पड़ सकता है।
राष्ट्रीय आपत्ति: अगर राष्ट्रपति नामुमकिन कारणों के कारण अपने कार्य को सम्पादित नहीं कर सकते हैं, तो यह भी महावियोग का कारण हो सकता है।
यदि कोई ऐसा परिस्थिति उत्पन्न होता है जिसमें राष्ट्रपति को अपनी स्थिति में बदलाव करने की आवश्यकता होती है, तो यह महावियोग के रूप में जाना जाता है।