मोहम्मद गोरी

मोहम्मद गोरी, भारतीय इतिहास में एक प्रसिद्ध गजनवी साम्राज्य के सुल्तान और सम्राट थे। वे गजनवी वंश के प्रमुख थे और भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों के विजयक अक्रमणकारी थे।

मोहम्मद गोरी का प्रमुख उद्देश्य भारत के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों को जीतना और अपने साम्राज्य का विस्तार करना था। उन्होंने 12वीं और 13वीं शताब्दी के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के कई हिस्सों पर आक्रमण किया।

1191 में, मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान के खिलजी के खिलाफ ताराईन की लड़ाई लड़ी, जिसमें उन्होंने हार का सामना किया था, लेकिन उन्होंने इस प्रकार भारतीय साम्राज्य के खिलाफ अपनी आक्रमणक योजना को आगे बढ़ाया।

1192 में, मोहम्मद गोरी ने ताराईन की लड़ाई में विजय प्राप्त की और पृथ्वीराज चौहान को हराकर दिल्ली की तरफ आगे बढ़ा। इससे पूर्व, उन्होंने मुल्तान, उच्च, लाहौर, नागोर, अजमेर और कानौज़ जैसे कई प्रांतों को जीत लिया था।

गोरी की मृत्यु का समय और स्थान स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनके प्रभावपूर्ण आक्रमणों ने भारतीय इतिहास को गहरी छाप छोड़ी है। उनकी सेना के प्रभाव से भारत में इस्लाम का प्रवेश हुआ और भारतीय समाज और संस्कृति पर भारी प्रभाव पड़ा।

मोहम्मद गोरी का एक प्रमुख युद्ध भारत के राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान के खिलजी के खिलाफ लड़ा गया था। यह युद्ध 1191 ईसवी में ताराईन के पास, वर्तमान तारान के निकट उत्तर प्रदेश के मैदान में हुआ था।

मोहम्मद गोरी की सेना और पृथ्वीराज चौहान की सेना के बीच हुई इस लड़ाई को ताराईन की लड़ाई कहा जाता है। इस लड़ाई में, गोरी की सेना को पृथ्वीराज चौहान की सेना ने हराया।

1192 ईसवी में, मोहम्मद गोरी ने फिर से ताराईन की लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान को हराकर उसका साम्राज्य जीत लिया। इस युद्ध के बाद, गोरी ने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की, जिसे वह प्रारंभिक खिलजी साम्राज्य का पहला सुल्तान बना।

यह युद्ध भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पृथ्वीराज चौहान के हार के बाद भारत में मुस्लिम शासन का आरम्भ हुआ। इस युद्ध के बाद, गोरी ने अपने साम्राज्य के निर्माण में अहम भूमिका निभाई और उनके आक्रमणों ने भारतीय इतिहास को गहरी छाप छोड़ी।

मोहम्मद गोरी की मृत्यु की तारीख और विवरण विवादित हैं। उनकी मृत्यु का कोई स्पष्ट इतिहासकारिक संकेत नहीं है। कुछ स्रोतों के अनुसार, उनकी मृत्यु की संभावना है कि वह लड़ाई के दौरान चिराघ के निकट लड़ाई में घायल हो गए और बाद में मर गए। अन्य कहते हैं कि उन्होंने लड़ाई के बाद शरीर को घायली के बाद बचा लिया और उसने अपने राजधानी गजनी में वापस चला गया, जहां उनकी मृत्यु हुई। अब भी, इसकी सटीक जानकारी नहीं है। उनकी मृत्यु के बाद, उनके उत्तराधिकारियों ने उनके साम्राज्य को संभाला और भारत में मुस्लिम शासन का कायापलट किया।

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