संविधान में संशोधन का तरीका भारतीय संविधान द्वारा प्रावधानित है। संविधान को संशोधित करने के लिए निम्नलिखित दो प्रमुख प्रक्रियाएं होती हैं:
- संविधानिक संशोधन: इस प्रक्रिया में किसी भी अनुच्छेद को संविधान में संशोधित किया जा सकता है। इसके लिए संविधान में संशोधन बिल पारित करने की आवश्यकता होती है, जिसे संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – को बहुमत के साथ स्वीकृत करना होता है।
- प्राकृतिक संशोधन: इस प्रक्रिया में संविधान के नियमों और प्रावधानों को संशोधित किया जा सकता है, लेकिन यह संशोधन संसद के बिना किया जा सकता है। इसके लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति की आवश्यकता होती है, लेकिन यह स्वीकृति उसके सिफारिश के बाद संसद द्वारा दी जाती है।
इन प्रक्रियाओं के अलावा, संविधान के कुछ विशेष प्रावधानों को संशोधित करने के लिए अन्य प्रक्रियाएं भी हो सकती हैं, जैसे कि राज्य संविधान की संशोधन प्रक्रिया और विशेष राष्ट्रीय कार्यकारी समितियों के उपरांत लागू किए जाने वाले प्रावधान।
आर्टिकल 368 भारतीय संविधान में संविधान के संशोधन की प्रक्रिया को स्थापित करता है। यह धारा संविधान के संशोधन के लिए मुख्य धारा है। आर्टिकल 368 के तहत, संविधान को संशोधित करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया को अपनाया जाता है:
- संविधानिक संशोधन बिल: पहले, संविधानिक संशोधन बिल को राज्यसभा और लोकसभा में पेश किया जाता है। यह बिल आरंभिक रूप से किसी सदस्य या सरकार द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
- बहुमत स्वीकृति: संविधानिक संशोधन बिल को पारित करने के लिए दोनों सदनों में बहुमत की आवश्यकता होती है। यहां बहुमत का अर्थ सभी मौजूदा सदस्यों के एकाधिकता होता है।
- राष्ट्रपति की स्वीकृति: बिल के पास होने के बाद, यह राष्ट्रपति को पेश किया जाता है। राष्ट्रपति को बिल पर अपनी स्वीकृति देने का अधिकार होता है, जिसे वह अपनी अपनी सोच और परिणामों के आधार पर देते हैं।
- संशोधन की प्राधिकृति: यदि राष्ट्रपति ने बिल को स्वीकृति दे दी है, तो बिल को संविधान के अनुसार संशोधित माना जाता है। इसके पश्चात, नए धाराओं या प्रावधानों को संविधान में शामिल किया जाता है।
इस प्रक्रिया के माध्यम से, भारतीय संविधान को समय-समय पर आधुनिक आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार संशोधित और सुधारित किया जाता है।
संविधान के संशोधन की प्रक्रिया भारतीय संविधान द्वारा स्थापित है और यह निम्नलिखित प्रक्रिया के अनुसार संचालित होती है:
- प्रस्तावना: संविधान के संशोधन के लिए प्रस्तावना बनाई जाती है। यह प्रस्तावना संसद के एक या उसके दोनों सदनों में प्रस्तुत की जाती है।
- प्रस्ताव की प्रमाणिकता: प्रस्ताव की प्रमाणिकता और उसके संविधानिक स्वीकृति की जाँच की जाती है।
- संविधानिक संशोधन बिल: यदि प्रस्ताव स्वीकृत होता है, तो संविधानिक संशोधन बिल तैयार किया जाता है। यह बिल संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जाता है।
- बहुमत स्वीकृति: संविधानिक संशोधन बिल को पारित करने के लिए दोनों सदनों में बहुमत की आवश्यकता होती है।
- राष्ट्रपति की स्वीकृति: बिल को पारित करने के बाद, यह राष्ट्रपति को पेश किया जाता है। राष्ट्रपति को बिल पर अपनी स्वीकृति देने का अधिकार होता है, जिसे वह अपनी अपनी सोच और परिणामों के आधार पर देते हैं।
- प्राधिकृति: यदि राष्ट्रपति ने बिल को स्वीकृति दे दी है, तो बिल को संविधान के अनुसार संशोधित माना जाता है। इसके पश्चात, नए धाराओं या प्रावधानों को संविधान में शामिल किया जाता है।
इस प्रक्रिया के माध्यम से, संविधान को समय-समय पर आधुनिक आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार संशोधित और सुधारित किया जाता है