भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 के तहत, भारत का उपराष्ट्रपति (Vice President) चुना जाता है। उपराष्ट्रपति की पदावधि पांच वर्ष की होती है, जो राष्ट्रपति के चुनाव के बाद चलती है।
उपराष्ट्रपति की कुछ मुख्य भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:
राज्यसभा का अध्यक्षता: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। वे राज्यसभा के सभी सत्र को अध्यक्षता करते हैं और सभी उप-सदस्यों के मताधिकार को निर्दिष्ट करते हैं।
उपाधिकारी कार्य: उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कार्यों का निर्वाह करने का अधिकार होता है।
आधिकारिक और सार्वजनिक कार्यक्रमों की उपस्थिति: उपराष्ट्रपति को आधिकारिक और सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अधिकार होता है।
उपराष्ट्रपति की सलाहकारी भूमिका: उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के सलाहकार के रूप में भी काम करना पड़ता है और उन्हें आपातकालीन स्थितियों में भी प्रधानमंत्री के साथ सलाह देने का अधिकार होता है।
उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के साथ देश की शिस्त और कार्यशैली को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 के तहत, उपराष्ट्रपति को कुछ प्रमुख शक्तियाँ और कार्यक्षेत्र प्राप्त होते हैं। उनमें से कुछ मुख्य शक्तियाँ निम्नलिखित हैं:
राज्यसभा का अध्यक्ष: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। वे राज्यसभा के सभी सत्र को अध्यक्षता करते हैं और सभी उप-सदस्यों के मताधिकार को निर्दिष्ट करते हैं।
उपराष्ट्रपति का पदावधि के दौरान राष्ट्रपति के कार्य की समीक्षा: उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के कार्य की समीक्षा करने का अधिकार होता है और वे अपनी सलाह देते हैं।
अन्य आधिकारिक कार्य: उपराष्ट्रपति को अन्य कार्यक्रमों में भाग लेने का अधिकार होता है, जैसे कि उपाध्यक्ष के रूप में विभिन्न समारोहों, यात्राओं और सार्वजनिक उत्सवों में भाग लेना।
राजनैतिक और सामाजिक अधिकार: उपराष्ट्रपति को राजनैतिक और सामाजिक मामलों में राष्ट्र के उत्तरदायित्व का भी ध्यान रखना होता है, ताकि वे देश के साथी और उनके स्वार्थ को प्रोत्साहित कर सकें।
उपराष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया जाता है और उन्हें विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का जिम्मा होता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत, उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया निम्नलिखित है:
अविश्वास प्रस्ताव: यदि संसद के किसी सदस्य द्वारा उपराष्ट्रपति के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाता है और यह प्रस्ताव बहुमत से स्वीकृत होता है, तो उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति का इस्तीफा: उपराष्ट्रपति को अपने इस्तीफे का पत्र राष्ट्रपति को स्वीकार कराना पड़ता है।
निष्पक्षता: उपराष्ट्रपति के पद से हटाने की प्रक्रिया में संसद के सदस्यों को निष्पक्षता दिखानी चाहिए।
इस प्रक्रिया में, अगर संसद के एक बड़े अंश ने अपना आपसी आदेश बनाया तो उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है।