लोकसभा तथा राज्य सभा


लोकसभा भारत की सदन है जिसमें लोकतंत्र के मूल तत्वों में से एक है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81-122 के तहत बनाया गया है। लोकसभा के सदस्यों को लोकसभा चुनावों के माध्यम से निर्वाचित किया जाता है। यह भारतीय संविधान की निर्मिति, कानून निर्माण, विधायिका, बजट, आपातकाल, और अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा करती है। लोकसभा को भारतीय संविधान का चौथा स्थायी सदन माना जाता है, जो संसद का एक हिस्सा है।

लोकसभा को भारतीय संविधान में कई अधिकार और शक्तियाँ प्राप्त हैं। यह कुछ मुख्य शक्तियाँ हैं:

विधायिका: लोकसभा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 107 के तहत विधान बनाती है।
वित्तीय नियंत्रण: लोकसभा को बजट और वित्तीय प्रावधानों का पारिति और अनुमोदन करने का अधिकार होता है।
सरकार का निर्वाचन: लोकसभा के सदस्यों का चयन करके सरकार बनाने का अधिकार होता है।
समीक्षा और जांच: लोकसभा के अध्यक्ष और सदस्यों को सरकार के कार्यों की समीक्षा और जांच करने का अधिकार होता है।
संसदीय संविधान का उपाधि: लोकसभा संसदीय संविधान का उपाधि है और अधिकारों का प्रतिनिधित्व करती है।
लोकसभा की यह शक्तियाँ भारतीय लोकतंत्र में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती हैं और इसे सरकारी निर्णयों में एक प्रमुख दलीय संगठन बनाती है।

“अविश्वास प्रस्ताव” एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोकसभा में सरकार के प्रति अविश्वास व्यक्त किया जाता है। जब किसी सदन या विधायक समूह में लोकसभा के सदस्यों का अधिकांश या उनका अधिकारिक आंकड़ा सरकार के प्रति आत्मविश्वास का प्रकट करता है, तो स्थानीय अधिकारियों या राष्ट्रपति के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है, तो सरकार को अधिकारिकता का अभाव महसूस होता है और वह अकेले हो सकती है, या नई चुनाव का आयोजन किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को “विश्वास का परीक्षण” भी कहा जाता है।

राज्यसभा भारतीय संविधान की दूसरी सदन है, जो राज्यों के प्रतिनिधित्व के लिए है। इसमें राज्यों के विधायकों के प्रतिनिधित्व होता है, जो लोकसभा की तरह निर्वाचित नहीं होते हैं। राज्यसभा की भूमिका उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, केरल, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, गोवा, आरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, असम, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड के प्रतिनिधित्व के लिए होती है। राज्यसभा का मुख्य कार्य भारतीय संविधान के विभिन्न विधानों की विधान प्रक्रिया के लिए निर्णायक होता है, साथ ही उसका अधिकार है लोकसभा के द्वारा पारित किए गए विधेयकों का समीक्षण और सुधार करना।

राज्यसभा को भारतीय संविधान में कई अधिकार और शक्तियाँ प्राप्त हैं। यह कुछ मुख्य शक्तियाँ हैं:

राज्यों के प्रतिनिधित्व: राज्यसभा में राज्यों के विधायकों का प्रतिनिधित्व होता है, जो लोकसभा की तरह निर्वाचित नहीं होते हैं।
संविधान का संरक्षण: राज्यसभा की महत्वपूर्ण भूमिका है संविधान के अनुच्छेदों को संरक्षित रखने में।
विधान प्रक्रिया: राज्यसभा का महत्वपूर्ण कार्य है विधान प्रक्रिया में सहयोग करना, जैसे कि विधेयकों को अनुमोदित करना और संशोधित करना।
राज्यों की हितैषी भूमिका: राज्यसभा राज्यों की हितैषी भूमिका निभाती है और उनके मुद्दों और आरामदायक कानूनों पर ध्यान देती है।
विधेयकों का समीक्षण: राज्यसभा का अधिकार है लोकसभा द्वारा पारित किए गए विधेयकों का समीक्षण और सुधार करना।
राज्यसभा की यह शक्तियाँ राज्यों के प्रतिनिधित्व के माध्यम से राष्ट्र की एकता और एकात्मता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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